मुल्क पाकिस्तान की उमरकोट में रहने वाली हिंदू महिला कस्तूरी कई दूसरी महिलाओं के लिए मिसाल बन कर उभरी है।
पहले वे अपने पैरों पर खड़ी हुई और आज कई महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है शुरू में उन्होंने जिन लोगों ने उनके काम पर सवाल उठाए आज वही उनके तारीफ करते फिरते हैं।
गांव वाले कहते थे कि पता नहीं सवेरे _सवेरे लिपिस्टिक लगाकर ,कहां जाती है,आज वही गांव वाले कहते हैं कि बहुत ही सम्मानित और अच्छा कार्य की है
आगे महिला कस्तूरी कहती है कि जब मेरी शादी हुई थी रिक्शा चलाते थे,पति घर से काम के लिए निकलते थे तो कमा कर कभी लाते भी थे कभी नहीं लाते थे. इससे उनका पेट भी नहीं भरता था .जब उनके पति को काम करते हुए पता चला कि उनको पेट में पथरी का रोग है,तो काम भी छोड दिये.
हम अनपढ़ हैं तो क्या कर सकते हैं फिर भी हिम्मत नहीं हारी तब मैं सिलाई का कार्य आरंभ की और मैं धीरे-धीरे इसी काम में मेहनत करने लगी आज यही काम कर महीना मैं 30 से 50 हजार कमा लेती हूं
इस काम में गांव के महिलाओं को भी जोड़ कर रखी हूं वे भी प्रतिदिन ₹300 कमा लेती है.
इस से गांव वाले लोग हमें सम्मान भी देते हैं.