पटना, बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने हाल ही में कृषि रोड मैप पर सवाल उठाकर अपनी ही सरकार की नीतियों की आलोचना की थी। उनके पिता और राष्ट्रीय जनता दल बिहार के अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने रविवार को यह जानकारी दी। सुधारक सिंह के हाल ही में अपने विभाग में भ्रष्टाचार की बात स्वीकार करने से प्रदेश की नई महागठबंधन सरकार को काफी फजीहत झेलनी पड़ी थी। जगदानंद सिंह ने कहा कि कृषि मंत्री ‘किसानों के हक में अपनी आवाज उठा रहे थे’, लेकिन आखिर में उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया, ताकि ‘लड़ाई आगे नहीं बढ़े।’ दरअसल सुधाकर सिंह ने हाल ही में अपने विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार का जिक्र करते हुए कहा था, “हमें नहीं लगता कि बिहार राज्य बीज निगम से मिले बीज किसान अपने खेतों में लगाते हैं। 150-200 करोड़ रुपए इधर ही खा जाते हैं, बीज निगम वाले। सिंह ने आगे कहा, “हमारे विभाग में कोई ऐसा हिस्सा नहीं है, जो चोरी नहीं करता है। इस तरह हम चोरों के सरदार हुए। हम सरदार ही कहलाएंगे न। जब चोरी हो रही है तो हम उसके सरदार हुए न।” उन्होंने ये भी था कहा कि वह राज्य में महागठबंधन सरकार बनने के साथ अपने विभाग में “BJP के एजेंडे को जारी रखने” की अनुमति नहीं देंगे। कृषि रोड मैप की थी खिलाफत सिंह ने कहा कि सरकार के आंकड़े ही बताते हैं कि कृषि रोडमैप किसी भी तरह से अपने मकसदों को हासिल करने में पूरी तरह से फेल रहा है। उन्होंने कहा, “ये मेरे आंकड़े नहीं हैं। कृषि विभाग के आंकड़े रोड मैप की विफलता की ओर इशारा करते हैं और जरूरी सुधार वाले उपाय किए बिना उन्हें जारी रखने का कोई मतलब नहीं है।” RJD विधायक ने आगे कहा, “कम से कम, कृषि मंत्री के रूप में, मैं इस रोड मैप का विस्तार नहीं कर सकता। अगर सरकार तीसरे कृषि रोड मैप को 2022 से आगे बढ़ाना चाहती है, तो सरकार किसी दूसरे विभाग को नोडल विभाग बना सकती है।” हालांकि, सुधारक सिंह अपने इस्तीफे की खबर पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। बता दें कि पहला कृषि रोड मैप 2008 में एक छोटे बजट के साथ लॉन्च किया गया था। जबकि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राज्य में ‘इंद्रधनुष क्रांति’ की शुरुआत करने के मकसद से 2012 में राज्य के लिए दूसरा कृषि रोडमैप लॉन्च किया था। Lalu on PFI Ban: ‘RSS पर भी लगे बैन’, PFI पर प्रतिबंध लगाने पर बोले लालू प्रसाद यादव 2017 में, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने तीसरा रोड मैप लॉन्च किया, जिसे बिहार में NDA सरकार ने 2022 से आगे बढ़ाने का फैसला किया था। तब कृषि मंत्रालय BJP के पास था। खेती के लिए पिछले दो रोडमैप में एक साथ लगभग 3 लाख करोड़ रुपए का बजट था। सिंह ने इस ओर भी इशारा किया था कि वह कृषि उपज विपणन समिति एक्ट और ‘मंडी’ सिस्टम को बहाल करने तक चैन से नहीं बैठेंगे। सिंह ने कहा था कि 2006 में उन्हें खत्म करने का फैसला “किसान विरोधी” था। कैमूर जिले के रामगढ़ से पहली बार विधायक बने सुधाकर सिंह ने हाल ही में उस समय विवाद खड़ा कर दिया, जब उन्होंने कहा कि उनके विभाग के सभी अधिकारी “चोर हैं और इस तरह विभाग के प्रमुख होने के नाते वह चोरों के मुखिया हैं।”
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