नई दिल्ली: टेरर फंडिंग मामले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के एक्शन को लेकर केरल में विरोध शुरू हो गया है। PFI के समर्थकों ने NIA की कई एजेंसियों व कार्यालयों के बाहर केरल में हड़ताल का आह्वान किया है। पीएफआई ने शुक्रवार सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक 12 घंटे के हड़ताल का ऐलान किया है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने NIA की अगुवाई में जांच एजेंसियों की उसके कार्यालयों, नेताओं के घरों और परिसरों में छापेमारी के विरोध में शुक्रवार (23 सितंबर) को हड़ताल का आह्वान किया। पीएफआई ने शुक्रवार सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक 12 घंटे के हड़ताल की घोषणा की है।
वहीं, केरल बंद के मद्देनजर पुलिस ने भी राज्य में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। NIA राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण ने कहा कि PFI केकई नेताओं और सदस्यों के खिलाफ टेरर फंडिंग और कई हिंसक कृत्यों के आपराधिक मामले दर्ज किए गए। बता दें कि केरल बंद की स्थिति में भी बसों की आवाजाही जारी रहेगी। इस बीच, सरकारी बस सेवा KSRTC ने कहा है कि बस संचालन जारी रहेगा। जरूरत पड़ने पर अस्पतालों, हवाई अड्डे तथा रेलवे स्टेशनों को सुरक्षा भी दी जाएगी।गौरतलब है कि टेरर फंडिंग से जुड़े आरोपों पर एनआईए का यह अब तक का सबसे बड़ा एक्शन देखने है। NIA और ED ने मिलकर 15 राज्यों में 96 जगहों पर छापेमारी की। इसी के साथ पीएफआई प्रमुख समेत करीब 106 लोगों को हिरासत में लिया है।
पीएफआई के राज्य महासचिव अब्दुल सत्तार ने अपने बयान में राज्य मशीनरी के इस्तेमाल की निंदा की और दावा किया कि केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल असहमति की आवाज को बंद कराने के लिए किया जा रहा। अब्दुल सत्तार ने कहा कि पीएफआई के नेताओं की गिरफ्तारी को उचित नहीं ठहराया जा सकता है।वहीं, दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्रदेश इकाई ने हालांकि इस प्रस्तावित हड़ताल को अनावश्यक बताया और राज्य सरकार से इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह किया। बीजेपी की प्रदेश इकाई के प्रमुख के. सुरेंद्रन ने आरोप लगाया कि पीएफआई की ओर से पूर्व में बुलाई सभी हड़ताल में दंगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के प्राधिकारियों को लोगों के जीवन और संपत्ति की पर्याप्त सुरक्षा करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए।के. सुरेंद्रन ने यह भी आरोप लगाया कि पीएफआई बाहुबल के जरिए आतंकवाद के मामलों से निपटने की कोशिश कर रहा है और उसके नेतृत्व से यह ध्यान रखने को कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है न कि एक धार्मिक राष्ट्र। सुरेंद्रन ने एक बयान में कहा कि अनावश्यक हड़ताल के खिलाफ हाईकोर्ट के कड़े रूख के बावजूद राज्य में सरकार वोट बैंक पर नजर रखते हुए पीएफआई के प्रति नरम रुख दिखा रही है।