एक कथा अनुसार कहा जाता है कि जब भगवान् श्रीकृष्ण ने अपना देह छोड़ा तो उनका अंतिम संस्कार किया गया , उनका सारा शरीर तो पांच तत्त्व में मिल गया लेकिन उनका हृदय बिलकुल सामान्य एक जिन्दा आदमी की तरह धड़क रहा था और वो बिलकुल सुरक्षित था, एक मान्यता अनुसार उनका हृदय आज तक सुरक्षित है जो भगवान् जगन्नाथ की काठ की मूर्ति के अंदर रहता है और उसी तरह धड़कता है,यह जगन्नाथ मंदिर के विषय पर शोध करने बालो एवं स्थानीय लोगा का मानना है!



महाप्रभु का महा रहस्य
सोने की झाड़ू से होती है सफाई…!!
महाप्रभु जगन्नाथ(श्री कृष्ण) को कलियुग का भगवान भी कहा जाता है! पुरी (उड़ीसा) में श्री जग्गनाथ स्वामी अपनी बहन सुभद्रा जी और भाई बलराम जी के साथ निवास करते है! लेकिन कई ऐसे रहस्य है कि आज तक कोई नही जान पाया।
बदला जाता है मूर्तियो को
हर 12 साल में महाप्रभु की मूर्ती को बदला जाता है, उस समय पूरे पुरी शहर में ब्लैकआउट किया जाता है यानी पूरे शहर की लाइट बंद की जाती है। लाइट बंद होने के बाद मंदिर परिसर को भारतीय सेना की #CRPF टुकड़ी द्वारा चारो तरफ से घेर लिया जाता है! उस समय कोई भी मंदिर में नही जा सकता..!
मंदिर के अंदर घना अंधेरा रहता है, पुजारी की आँखों मे पट्टी बंधी होती है, पुजारी के हाथों में दस्ताने होते है, वो पुरानी मूर्ती से “ब्रह्म पदार्थ” निकालता है और नई मूर्ती में डाल देता है, ये ब्रह्म पदार्थ क्या है ? आजतक किसी को नही पता! इसे आजतक किसी ने नही देखा! हज़ारो सालो से ये एक मूर्ती से दूसरी मूर्ती में स्थानांतरित किया जा रहा है!
ये एक ऐसा दिव्य अलौकिक पदार्थ है जिसको छूने मात्र से किसी सामान्य इंसान के शरीर के चिथड़े उड़ जाए! इस ब्रह्म पदार्थ का संबंध भगवान श्री कृष्ण से है! मगर ये क्या है, कोई नही जानता! ये पूरी प्रक्रिया प्रत्येक 12वें वर्ष में एक बार होती है! उस समय सुरक्षा चाक चौबंद होती है!
मगर आजतक कोई भी पुजारी ये नही बता पाया की महाप्रभु जगन्नाथ जी की मूर्ती में आखिर ऐसा क्या है ?
कुछ पुजारियों का कहना है कि जब हमने उसे हाथ मे लिया तो खरगोश जैसा उछल रहा था, आंखों में पट्टी थी, हाथों में दस्ताने थे तो हम उसको महसूस भी नही कर पाए!
आज भी हर वर्ष जगन्नाथ यात्रा के उपलक्ष्य में सोने की झाड़ू से पुरी के राजा खुद झाड़ू लगाने आते है!
भगवान जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार से पहला कदम अंदर की तरफ़ रखते ही समुद्र के लहरों की आवाज अंदर सुनाई नहीं देती, जबकि आश्चर्य में डाल देने वाली बात यह है कि जैसे ही आप मंदिर से एक कदम बाहर की तरफ़ रखेंगे, वैसे ही समुद्र की आवाज सुनाई देने लगती है!
*मंदिर मे कई रहस्य है*
आपने ज्यादातर मंदिरों के शिखर पर पक्षी बैठे-उड़ते देखे होंगे, लेकिन जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी नहीं गुजरता।
मंदिर पर लगा ध्वज हमेशा वायु की उल्टी दिशा में लहराता है!
दिन में किसी भी समय भगवान जगन्नाथ मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई नहीं बनती।
भगवान जगन्नाथ मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर स्थित ध्वज को रोज बदला जाता है, ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी ध्वज नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा !
इसी तरह भगवान जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर एक “सुदर्शन चक्र” भी है, जो हर दिशा से देखने पर आपके मुंह यानी आपकी तरफ ही दिखता है।
भगवान जगन्नाथ मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए मिट्टी के 7 बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं, जिसे लकड़ी की आग से ही पकाया जाता है, इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान पहले पकता है।
भगवान जगन्नाथ मंदिर में हर दिन बनने वाला प्रसाद भक्तों के लिए कभी कम नहीं पड़ता, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि जैसे ही मंदिर के पट बंद होते हैं वैसे ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है।
हिन्दू मान्यताओ अनुसार देश मे कई आलौकिक मंदिर है,उनमे से एक जगन्नाथ मंदिर भी है