शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के ख़िलाफ़ आबाज बुलंद करने वाले एकनाथ शिंदे शिवसेना के क़रीब 40 विधायकों के साथ भाजपा के साथ सरकार मिलकर सरकार बना रहे है,शिवसेना का एक तबका जहां एकनाथ शिंदे के साथ है, वहीं कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग उनसे खासा नाराज़ है. लेकिन आलोचनाओं के बीच में उन्हें सतारा में उनके पैतृक गांव दारे के लोगों का ज़बरदस्त समर्थन मिल रहा है.

सुत्रो के अनुसार, स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि आने वाले समय में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारी संभालने के बाद एकनाथ शिंदे का पैतृक गांव, दारे पहाड़ी शहर महाबलेश्वर से लगभग 70 किलोमीटर दूर है। कोयना नदी के किनारे पर बसे इस गांव में केवल 30 घर हैं. इसके ज़्यादातर घरों में ताला लगा हुआ है क्योंकि यहां रहने वाले प्रवासी मज़दूर हैं. गांव में आय का कोई साधन ना होने के कारण यहां के लोग मुंबई और पुणे में काम करते हैं.
दारे के सरपंच कहना हैं, “यह इलाका एनसीपी का गढ़ रहा है. शिंदे कभी भी स्थानीय स्तर पर किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं रहे हैं. हालांकि उन्होंने गांव में कुछ विकास कार्यों की शुरुआत ज़रूर की है. वह जो फ़ैसला लेते हैं, गांववाले उनके साथ खड़े रहते हैं.”लेकिन ग़ौर करने वाली बात यह है कि दारे में ना तो कोई स्कूल है और ना कोई अस्पताल. शिक्षा और स्वास्थ्य ज़रूरतों के लिए गांव वालों को सड़क मार्ग से 50 किलोमीटर और नाव से 10 किलोमीटर का सफ़र तय करके तपोला जाना पड़ता है.हालांकि दारे में दो हेलीपैड ज़रूर बने है. शिंदे जब भी गांव आते हैं, चॉपर से ही आते हैं. एक स्थानीय नागरिक के हवाले से लिखा है कि कोयना नदी के किनारे उन्होंने एक हेलीपैड बनवाया था. इसके बाद गांव में उनके घर से कुछ दूरी पर भी एक हेलीपैड बनाया गया है और जल्दी ही वो इस्तेमाल के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाएगा.