मध्य प्रदेश रणजी टीम ने इतिहास में पहली बार जीत का सेहरा अपने नाम किया है। बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में मध्यप्रदेश की टीम ने 41 बार की रणजी चैंपियन महाराष्ट्र की टीम कोशिकस्तदी है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बधाई देते हुए कहा, रणजी ट्राफी 2022 फाइनल मैच में अपने अद्भुत और अद्वितीय खेल से मध्य प्रदेश की टीम ने न केवल शानदार जीत प्राप्त की है, बल्कि लोगों का हृदय भी जीत लिया। इस अभूतपूर्व जीत के लिए मध्य प्रदेश की टीम को बधाई देता हूं। निश्चय ही आपकी जीत का यह सिलसिला निरंतर चलता रहे। कई बार की विजेता मुंबई को हराकर मध्य प्रदेश की टीम ने रणजी ट्राफी जीतकर कमाल कर दिया है। हम सब प्रसन्न और भावविभोर है। मैं टीम के कोच चंद्रकांत पंडित, कप्तान आदित्य श्रीवास्तव को एवं समस्त टीम को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं। रणजी ट्राफी जीतने वाली पूरी क्रिकेट टीम का मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भव्य स्वागत व नागरिक अभिनंदन किया जाएगा। क्रिकेट का एक नया इतिहास रचने वाले हमारे क्रिकेट- वीर रणबाकुरों का भव्य स्वागत होगा।

रविवार को खिताबी मुकाबले में मुंबई की दूसरी पारी 269 रनों पर सिमटी। इस तरह मध्य प्रदेश को जीत के लिए 108 रनों का लक्ष्य मिला और इसे टीम ने पूरा कर लिया। मुंबई की पहली पारी 374 रनों पर सिमटी थी, जवाब में मध्य प्रदेश ने पहली पारी में 536 रन बनाते हुए 162 रनों की बढ़त हासिल की थी। मध्य प्रदेश की ओर से बैटिंग शुरू होने के बाद यश दुबे एक रन बनाकर आउट हुए।

इसके पहले बेंगलुरू के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले जा रहे मैच के पांचवें और आखिरी दिन रविवार को मुंबई ने 113/2 के स्कोर से आगे खेलना शुरू किया। पहली पारी में पिछड़ चुकी मुंबई ने दूसरी पारी में करो या मरो के अंदाज में बल्लेबाजी की। अरमान जाफर और सुवेद पारकर ने तेजी से रन बनाए। अरमान ने गौरव यादव की गेंद पर बोल्ड होने से पहले 40 गेंदों पर तीन चौकों की मदद से 37 रन बनाए। वहीं सुवेद ने 58 गेंदों पर 51 रनों की पारी खेली। इस दौरान उन्होंने तीन चौके और एक छक्का लगाया। सुवेद को कुमार कार्तिकेय ने बोल्ड किया। इसके बाद पहली पारी के शतकवीर सरफराज खान ने ताबड़तोड़ शाट खेलते हुए मध्य प्रदेश के खेमे में हलचल मचा दी।इंदौर में मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन(एमपीसीए) में मेगा स्क्रीन पर मैच का सीधा प्रसारण देखा जा रहा है। एमके भार्गव हाल में 8 बाय 12 की मेगा स्क्रीन लगाई गई है, मैच को देखने के लिए कमेटी के सदस्य और संजय जगदाले के साथ कई पूर्व खिलाड़ी भी मौजूद है।ऐसे समय पर स्पिनर पार्थ साहनी ने उन्हें अपनी फिरकी में उलझाते हुए पवैलियन की रास्ता दिखाया। इसके बाद से मुंबई की पारी बिखरती चली गई। जल्दी रन बनाने के प्रयास में मुंबई के बल्लेबाजों ने गलतियां की और मध्य प्रदेश के गेंदबाज उनका फायदा उठाते रहे। आइपीएल में मुंबई इंडियंस के लिए अपनी गेंदों से जलवा दिखाने वाले कुमार कार्तिकेय सिंह ने 25 ओवर में 98 रन देकर चार विकेट लिए। वहीं गौरव यादव और पार्थ साहनी को दो-दो विकेट मिले।जिस शहर ने भारतीय क्रिकेट टीम को पहला कप्तान कर्नल सीके नायडू दिया हो, जिस शहर ने भारत को पहला ओपनर कैप्टन मुश्ताक अली दिया हो, वह शहर अब फिर अपने क्रिकेटरों की सफलता पर जश्न मना रहा है। इंदौर के रजत पाटीदार और शुभम शर्मा ने मुंबई जैसी मजबूत टीम के खिलाफ शतकीय पारी खेली। जरूरत के वक्त इंदौर के ही सारांश जैन ने निचलेक्रम के बल्लेबाजों को साथ लेकर मप्र को विशाल स्कोर तक पहुंचाया। इंदौर के खिलाड़ियों के अलावा होशंगाबाद के यश दुबे ने भी शतकीय पारी खेलकर टीम को मजबूती प्रदान की। अब मध्य प्रदेश इतनी मजबूत स्थिति में पहुंच चुका है कि आज फाइनल के अंतिम दिन कोई चमत्कार ही मुंबई को खिताब दिला सकता है, मगर किस्मत भी मप्र के साथ नजर आती है। इंदौर के रजत पाटीदार जब आउट हुए तो गेंद नोबाल निकली और उन्होंने शतक जमाकर मैच का रुख मोड़ दिया। कैच मुंबई के बल्लेबाजों के भी छूटे, लेकिन किस्मत उनके साथ नहीं थी और कोई भी बड़ी पारी नहीं खेल सका। मैच में बारिश से बाधा पड़ रही है और रविवार को खेल नहीं हुआ तो पहली पारी की बढ़त से मध्य प्रदेश की जीत निश्चित है।
इंदौर के विजय क्लब में जब रजत पाटीदार क्रिकेट का ककहरा सीखने आए थे तो उम्र बहुत कम थी। यहां कोच राम अत्रे ने उन्हें प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया। इसके बाद पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर अमय खुरासिया ने रजत की तकनीक सुधारने के लिए मेहनत की। रजत ने आइपीएल में इस साल रायल चैलेंजर्स बेंगलुरु के लिए जोरदार प्रदर्शन किया था। मप्र के लिए भी फाइनल में 122 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली।

शुभम शर्मा
इंदौर के शुभम शर्मा ने 116 रनों की शतकीय पारी खेलकर मध्यक्रम को मजबूती दी। इंदौर स्पोर्ट्स क्लब के उपाध्यक्ष राजूसिंह चौहान बताते हैं, शुभम बहुत कम उम्र में क्लब में आया था। वह बहुत अमीर परिवार से ताल्लुक नहीं रखता। छोटे से करियर में शुभम ने कई उतारचढ़ाव देखे, लेकिन मनोबल बनाए रखा। वह मेहनती है और लगातार खेल में सुधार करने के लिए प्रयास करता रहता है। मप्र की हर आयु वर्ग की टीम में शुभम का प्रदर्शन शानदार रहा है।
सारांश जैन
इंदौर के आलराउंडर सारांश जैन ने फाइनल में 97 गेंदों पर 57 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेली। उन्होंने निचलेक्रम के बल्लेबाजों को साथ लेकर सुनिश्चित किया कि मप्र का स्कोर बहुत बड़ा बने।
पंडित ने किया कमाल
क्रिकेट में बहुत कम ऐसा होता है जब टीम से ज्यादा सितारा हैसियत कोच की हो, मगर घरेलू क्रिकेट में यह रुतबा चंद्रकांत पंडित को हासिल है। उनके मार्गदर्शन में मप्र पहली बार रणजी ट्राफी का खिताब जीतने के करीब है। इसके पहले उन्होंने बतौर कोच मुंबई और विदर्भ को दोदो बार चैंपियन बनाया है।
सफलता में इंदौर का योगदान
मध्य प्रदेश ऐतिहासिक सफलता के मुहाने पर खड़ा है। रणजी ट्राफी में पहले होलकर टीम और फिर मध्य भारत की टीम ने प्रतिनिधित्व किया। होलकर टीम कई बार यह खिताब जीती, लेकिन मध्य प्रदेश को अब तक ट्राफी उठाने का अवसर नहीं मिला। इस बार मप्र की इस टीम को गढ़ने में इंदौर की माटी का योगदान आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी।
टीम के लगभग अहम खिलाड़ी इंदौर से हैं। इनमें रजत पाटीदार, शुभम शर्मा, सारांश जैन और पार्थ साहनी जैसे नाम शामिल हैं।
टीम का तैयारी शिविर इंदौर के होलकर स्टेडियम में लगा। मानो होलकर टीम के खिलाड़ी भी इस टीम को आशीर्वाद दे रहे हों। कैप्टन मुश्ताक अली हमेशा यह इच्छा जताते थे कि उनकी आंखों के सामने एक बार मप्र टीम रणजी ट्राफी खिताब जीते।
चयन समिति प्रमुख सहित समिति के अधिकांश खिलाड़ी इंदौर के हैं, जिन्होंने सिफारिश और दबाव से प्रभावित हुए बिना सही खिलाड़ियों का चयन किया।
मप्र क्रिकेट संगठन (एमपीसीए) की वर्तमान कार्यकारिणी में सचिव सहित अधिकांश पदों पर इंदौर के लोग काबिज हैं। जिन्होंने कोच चंद्रकांत पंडित को सही फैसले लेने के लिए फ्रीहैंड दिया।
बीसीसीआई के पूर्व सचिव इंदौर के संजय जगदाले ने एक दशक पहले प्रदेश की प्रतिभाओं को निखारने का कार्यक्रम शुरू किया था। तब पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर अमय खुरासिया को यह जिम्मेदारी दी र्गइ थी। अब उस योजना के परिणाम दिख रहे हैं