पटना बिहार सरकार के पंचायती राज या अन्य किसी भी बैठक में अब मुखिया पति (MP)और सरपंच पति( SP)शामिल नहीं हो सकेंगे। यह निर्देश पंचायती राज्य मंत्री सम्राट चौधरी ने दिया है।
गौरतलब है कि बिहार पंचायती राज संस्थाओं में नव निर्वाचित महिला प्रतिनिधि अपने पति या किसी अन्य पुरुष प्रतिनिधि को बैठक में शामिल होने के लिए अधिकृत नहीं कर सकता है।
बिहार पंचायत आम निर्वाचन में त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं में 1लाख 10 हजार से अधिक महिला जनप्रतिनिधि नवनिर्वाचित हुई है। जब से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार पंचायती राज में महिलाओं का सीट आरक्षण किए हैं तब से महिलाओं का पंचायत प्रतिनिधियों में सहभागिता रही है महिला प्रतिनिधि अधिकार और हक के लिए अपना समस्या उठाते रही हैं। जबकि पुरुष प्रधान देश में पुरुष अपनी मर्जी और मानसिकता से महिला प्रतिनिधियों से अपना काम करवाते आए हैं, महिलाओं के लिए यह बहुत बड़ी विडंबना रही हैं।
अब इससे यही लगता है कि पुरुष की वर्चस्व वाली मानसिकता धीरे-धीरे समाप्त होगी और नव निर्वाचित महिला प्रतिनिधि अपने नई सोच, नई विचार नई मार्गदर्शन से न्यायोचित कदम उठाएंगी।
इन सभी प्रतिनिधियों को खुद स्थानीय सरकार की बैठकों में शामिल होना होगा ।वह अपनी जगह किसी और पुरुष को अधिकृत नहीं कर सकेगी पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने इसको लेकर स्पष्ट निर्देश जारी किया है इसमें पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वार्ड सभा व ग्रामसभा से लेकर किसी भी स्तर पर विकास कार्यों को लेकर आयोजित बैठकों में नव निर्वाचित महिला प्रतिनिधि को ही शामिल होना होगा।
सूत्रों ने कहा कि समय-समय पर अभ्यावेदन प्राप्त होते हैं कि त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं की बैठक में महिलाएं स्वय भाग न लेकर अपने पति प्रतिनिधि अथवा सगे, संबंधी के माध्यम से उपस्थिति दर्ज कराती हैं विभाग ऐसी लापरवाही व कारगुजारी स्वीकार नहीं करेगी।
नवगठित स्थानीय सरकार में हर हाल में महिला जनप्रतिनिधि की बैठक में उपस्थिति दर्ज कराने की जिम्मेदारी सभी पदाधिकारियों को दी गई है इसका कड़ाई से पालन करने का निर्देश भी दिया है ।
सरकार अब नए सिरे से कि त्रिस्तरीय पंचायत संस्थाओं और ग्राम कचहरी यों के निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों स्वय के बजाय किसी अन्य पुरुष मनोनीत करने पर रोक लगाने का सख्त निर्देश दिया है।