भारत में संसदीय और विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के खर्च की सीमा बढ़ाई गई है ।उम्मीदवारों को लिए चुनाव खर्च की सीमा आखरी बार बड़ा संशोधन 2014 में किया गया था। जिससे 2020 में 10 फोसदी और बढ़ा दिया गया था।
चुनाव आयोग ने इसके लिए हरीश कुमार की एक समिति का गठन किया है।
इस समिति में आई ए एस अधिकारी उमेश सिन्हा महासचिव और चंद्र भूषण कुमार भारत के चुनाव आयोग में वरिष्ठ उप चुनाव आयुक्त हैं।
जिसका मकसद लागत कारको और अन्य संबंधित मुद्दों का अध्ययन करने और उपयुक्त सिफारिशें करने के लिए था ।समिति ने राजनीतिक दलों मुख्य निर्वाचन अधिकारियों और चुनाव पर्यवेक्षकों से सुझाव आमंत्रित किए हैं।
समिति ने पाया कि 2014 के बाद से मतदाताओं की संख्या और लागत मुद्रास्फीति सूचकांक में काफी वृद्धि हुई है इससे चुनाव प्रचार के बदलते तरीके पर ध्यान दिया जो धीरे-धीरे आभासी अभियान में बदल रहा है।
चुनावी खर्च की मौजूद सीमा बढ़ाने और 2014 से 2021 तक मतदाताओं की संख्या को 834 मिलियन से बढ़ाकर 936 मिलीयन करने और 2014 – 15 से 21- 22 तक लागत मुद्रास्फीति सूचकांक में वृद्धि के संबंध में राजनीतिक दलों की मांग के संबंध में 240 से 317 समिति ने अधिकतम सीमा बढ़ाने के लिए अपनी सिफारिशसे प्रस्तुत की है।
उम्मीदवार कहां कितना खर्च कर सकेंगे आयोग ने समिति की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है। और उम्मीदवारों के लिए मौजूद चुनाव में सीमा को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
लोकसभा चुनावों में जिन राज्यों में अभी तक उम्मीदवार के लिए चुनावी खर्च की सीमा अधिकतम 70लाख थी उसे बढ़ाकर 95 लाख किया गया है जिन राज्य केंद्र शासित प्रदेश में यह 54 लाख की उसको बढ़ाकर 75लाख किया गया है।
वहीं विधानसभा चुनाव में जिस राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में यह सीमा 28 लाख से बढ़ाकर 40 लाख किया गया है वहीं जिस राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में या 20 लाख था उसे बढ़ाकर 28लाख किया गया है।