डीआरडीओ की बेहद ही उच्च कोटि तकनीक के फल स्वरुप माइनस 50 डिग्री पर भी शरीर का तापमान सही रहेगा और गर्माहट रहेगा।
भारतीय सेना के लिए काम कर रहा डीआरडीओ। इसी कड़ी में सेना की महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करने के लिए डीआरडीओ स्वदेशी और अत्यधिक ठंड के मौसम के कपड़ों की प्रणाली( ईसीडब्ल्यूएसीएस ) को पांच भारतीय कंपनियों को सौंप दिया है।
हमारी सेना के जवान ग्लेशियर और हिमालय की चोटियों में अपनी निरंतर वर्फ में देश की अटूट सेवा करते हैं ।और ऐसे में उनका ज्यादा गर्म कपड़ों की बेहद जरूरत होती है। वहीं इस स्वदेशी तकनीक से भारतीय सेना को काफी फायदा पहुंचेगा।
भारतीय सेना ऊंचाई वाले क्षेत्र में तैनात सैनिकों के लिए अत्यधिक ठंडे मौसम के कपड़े और कई विशेष वस्त्र और पर्वतारोहण उपकरण वस्तुओं का आयात करती रही है।
हिमालय क्षेत्रों में तैनात जवानों को होगा अधिक फायदा हिमालय क्षेत्रों में विभिन्न प्रवेश की जलवायु परिस्थितियों में अपेक्षित इंसुलेशन पर आधारित बेहतर थर्मल इंसुलेशन शारीरिक सहूलियत के साथ एक एगोरनांमिक रूप से डिजाइन की गई मॉडल तकनीकी कपड़ा प्रणाली है। इसके साथ ही भारतीय सेना के जवान बेहतर तरीके से काम करते हैं।
डीआरडीओ के मुताबिक तीन स्तरीय अत्यधिक ठंड के मौसम के कपड़े प्रणाली को प्लस 15 डिग्री और -50 डिग्री सेल्सियस के बीच थर्मल इंसुलेशन प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है मतलब माइनस 50 डिग्री पर भी शरीर का तापमान सही रहेगा और गर्माहट रहेगी।
इस तकनीक में सांस, गर्मी और पानी की कमी और पसीने को तेजी से सूखने से संबंधित शारीरिक क्रियाओं सहित पर्याप्त सांस लेने की क्षमता और उन्नत इंसुलेशन के साथ-साथ अधिक ऊंचाई वाले संचालन के लिए वाटर प्रूफ और गर्मी प्रूफ विशेषताएं उपलब्ध कराने की सुविधा शामिल है।