नई दिल्ली नीति आयोग में बुधवार को पूर्ण रूप से प्रौद्योगिकी आधारित डिजिटल बैंक गठित करने का प्रस्ताव किया हैं।
डिजिटल बैंक देश में वित्तीय चुनौतियों से पार पाने के लिए सैद्धांतिक रूप से अपनी सेवाओं को पेशकश को लेकर भौतिक शाखाओं के बजाए इंटरनेट और अन्य संबंधित चरणों का उपयोग करेगा।
भारत सरकार ने लाइसेंसिंग ह और नियामकीय व्यवस्था को लेकर प्रस्तावह शीर्षक से जारी परिचर्चा पत्र में यह प्रस्ताव किया है।
इसमें डिजिटल बैंक लाइसेंस और नियामकीय व्यवस्था को लेकर रूपरेखा प्रस्तुत की गई है।
पत्र में कहा गया है कि डिजिटल बैंक उसी रूप में है जैसा कि बैंकिंग नियमन अधिनियम 1949 (बीआर अधिनियम )में परिभाषित किया गया है।
दूसरे शब्दों में कहा गया है कि इस संस्थाए जमा प्राप्त करेंगे ॠण देंगी, और उन सभी सेवाओं को पेशकश करेगी जिसका प्रधान बैंकिंग नियमन अधिनियम में है।
हालांकि नाम के मुताबिक डिजिटल बैंकिंग बैंक मुख्य रूप से अपनी सेवाओं को पेशकश करने के और अन्य संबंधित विकल्पों का उपयोग करेगी परिचर्चा पत्र के अनुसार यूपीआई में डिजिटल बैंकिंग में अहम भूमिका निभाएगी।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने परिचर्चा पत्र की भूमिका में लिखा है कि इसमें वैश्विक परिदृश्य पर गौर किया गया है और उसी के आधार पर विनियमित संस्थाओं के रूप में डिजिटल बैंक गठित करने की सिफारिश की गई है।
उन्होंने कहा कि प्राप्त टिप्पणियों के आधार पर परिचर्चा पत्र को अंतिम रूप दिया जाएगा और नीति आयोग की सिफारिश के रूप में साझा किया जाएगा।
यूपीआई के जरिए लेनदेन मूल के हिसाब से चार लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है वही आधार सत्यापन 55 लाख करोड़ को पार कर गया है।